देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥ काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी । तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥ अर्थ- हे प्रभु जब क्षीर सागर के मंथन में विष से भरा घड़ा निकला तो समस्त देवता व दैत्य भय से कांपने लगे आपने ही https://cristianfjptx.thebindingwiki.com/7625179/an_unbiased_view_of_shiv_chalisa_lyrics_in_gujarati